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Social Media पर बवंडर कटा हुआ है, लोग कह रहे ये तो बहुत बड़ी चोरी है

 

इन दिनों सोशल मीडिया पर कवि और गीतकार मनोज मुंतशिर की एक कविता वायरल हो रही है. ये कविता मनोज की 2019 में आई किताब ‘मेरी फितरत है मस्ताना’ का हिस्सा है. इसका शीर्षक है ‘मुझे कॉल करना’. लोगों का कहना है कि मनोज की ये कविता ओरिजिनल नहीं है. यानी इसे पहले लिखा जा चुका था. किसी और के द्वारा. मनोज मुंतशिर ने सिर्फ इसका हिंदी अनुवाद करके अपनी किताब में लगा दिया है. पहले आप वो सोशल मीडिया पोस्ट देखिए, जिसमें लोग इस कविता पर बात कर रहे हैं-

अब मनोज मुंतशिर की वो कविता पढ़िए-

तुम कभी उदास हो रोने का दिल करे, मुझे कॉल करना

शायद मैं तुम्हारे आंसू न रोक पाऊं पर तुम्हारे साथ रोऊंगा ज़रूर

कभी अकेलेपन से घबरा जाओ तो मुझे कॉल करना

शायद मैं तुम्हारी घबराहट न मिटा पाऊं पर अकेलापन बांटूंगा ज़रूर

कभी दुनियां बदरंग लगे तो मुझे कॉल करना

शायद मैं पूरी दुनिया में रंग न भर पाऊं

पर ये दुआ ज़रूर करूंगा कि तुम्हारी जिन्दगी खूबसूरत हो

और कभी ऐसा हो कि तुम कॉल करो

और मेरी तरफ से जवाब ना आए

तो भाग के मेरे पास आ जाना, शायद मुझे तुम्हारी ज़रूरत हो

एक्चुअली ये कविता रॉबर्ट जे. लेवरी की 2007 में आई किताब Love Lost में पहली बार छपी थी. इस कविता का नाम था- Call Me. इस किताब के लिखे जाने के पीछे एक बड़ा रोचक किस्सा है. लेवरी ने बेहद कम समय के अंतराल पर अपने बेटे और अपनी वाइफ को खो दिया था. उनकी पत्नी को ब्रेस्ट कैंसर था और उनकी उम्र मात्र 32 साल थी. ऐसे में लेवरी को समझ नहीं आया कि इस अथाह दुख का सामना कैसे करें, उससे बाहर कैसे आएं. ऐसे में उन्होंने पोएट्री का रुख किया. Love Lost Love Found नाम की एक किताब लिखी. इस किताब में उन्होंने वो सारी बातें लिखीं, जो वो कहना चाहते हैं. इस चीज़ ने उन्हें उस दुख से बाहर निकलने में बहुत मदद तो नहीं की मगर उन्हें उम्मीद दी. कि वो इस परिस्थिति से बाहर आ सकते हैं. रॉबर्ट जे. लेवरी की कविता Call Me आप नीचे पढ़ सकते हैं-

If one day you feel like crying…

call me

I don’t promise that

I will make you laugh

But I can cry with you.

If one day you want to run away

Don’t be afraid to call me.

I don’t promise to ask you to stop,

But I can run with you.

If one day you don’t want to listen to anyone

call me

i promise to be there for you

but i also promise to remain quiet

But…

If one day you call

and there is no answer…

come fast to see me..

Perhaps I need you.

अब लोगों का सवाल ये है कि लेवरी ने ये कविता 2007 में ही लिख दी थी. मगर मनोज मुंतशिर की किताब ‘मेरी फितरत है मस्ताना’ 2019 में वाणी प्रकाशन से छपी. और उस किताब में मनोज ने इस कविता का हिंदी वर्ज़न अपने नाम से छापा. कमाल की बात ये कि ‘मुझे कॉल करना’ नाम की इस कविता और रॉबर्ट जे. लेवरी की ‘कॉल मी’ में ज़्यादा अंतर नहीं है. अगर आप ‘कॉल मी’ को गूगल ट्रांसलेट की मदद से हिंदी में ट्रांसलेट करेंगे, तो नतीजा लगभग मनोज मुंतशिर की कविता ‘मुझे कॉल करना’ की शक्ल में बाहर आएगा.

हमने इस बारे में मनोज मुंतशिर से बात कर, उनका पक्ष जानने की कोशिश की. हमने उन्हें कॉल किया, मगर कोई जवाब नहीं मिला. फिर हमने अपनी क्वेरी उन्हें मेल से भेजी. वहां भी हमें कोई जवाब नहीं मिला. अब तक मनोज की तरफ से इस पर कोई स्पष्टीकरण नहीं आया है.