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Interview Question : गाड़ी की नंबर प्लेट पर A/F का क्या मतलब होता है ?

 

अक्सर हम वाहनों के नंबर प्लेट पर नंबर और इंग्लिश लेटर लिखा हुआ देखते है। तो कई वाहनों की नंबर प्लेट पर A/F लिखा होता है। जिसका मतलब ‘Applied for’ होता है। लेकिन क्या आप इस शब्द का मतलब और कारण जानते हैं? अगर नहीं तो कोई बात नहीं आज हम अपने इस पोस्ट में इसके कारण और मतलब के बारे में आपको बताएंगे।

आपको बता दे कोई भी गाड़ी चाहे वह नई हो या पुरानी प्रत्येक वाहन को मोटर वाहन अधिनियम 1989 के तहत पंजीकृत होना चाहिए। बिना किसी रजिस्ट्रेशन नंबर के गाड़ी चलाना गैर कानूनी होता है। इसलिए जब भी कोई गाड़ी चाहे वो टू वीलर हो, थ्री वीलर हो या फॉर वीलर हो, जब भी ये गाड़िया शोरूम से निकलती है। तो उसको एक टेम्पररी नम्बर दिया जाता है।

अगर किसी गाड़ी को टेम्पररी नम्बर नहीं दिया जाए तो उसकी नम्बर प्लेट पर A/F लिखा जाता है। जिसका मतलब “Applied For” होता है। जिससे यह पता चलता है कि गाड़ी के मालिक ने गाड़ी के नए नंबर के लिए अप्लाई किया हुआ है। और जब तक गाड़ी का परमानेंट नम्बर नहीं मिल जाता है। तब तक उसको नम्बर प्लेट पर A/F या Applied For लिखने की छूट दी जाती है।

अब आप सोचते होंगे की नंबर प्लेट पर A/F लिखना गैर कानूनी तो नहीं है। तो आपको बता दू, A/Fलिखी नंबर प्लेट की गाड़ी को एक सप्ताह से अधिक तक चलाते हो तो ऐसा करना गैर कानूनी हैं। क्योंकि क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय अधिकारी (RTO) ने आपको A/F लिखने की सुविधा सिर्फ उस अवधि तक के लिए दी है।

जब तब कि आपको परमानेंट रजिस्ट्रेशन नम्बर नहीं मिल जाता। और जैसे ही आपको परमानेंट नम्बर मिलता है। आपको अपनी गाड़ी पर A/F की जगह परमानेंट नम्बर लिखवाना होता है। अगर आप ऐसा नहीं करते है तो यह गैर कानूनी माना जाता है। आपको बता दे, बिना रजिस्ट्रेशन नंबर वाला वाहन चलाना एक संगीन अपराध है।

केंद्रीय मोटर वाहन नियम (CMVR), पंजीकरण के बिना वाहन चलाने की कभी भी अनुमति नहीं देती हैं। A/F लिखवाकर गाड़ी चलाना भी अपराध की श्रेणी में ही आता है। तो वही कुछ लोगों में यह भी एक गलत धारणा है कि, लोग लंबे समय तक अपनी गाड़ी की नम्बर प्लेट पर A/F लिखवाकर वाहन चला सकते हैं।

और पुलिस उनका कुछ भी नहीं करेगी। तो आपको बता दे, ऐसा सोचना भी गलत है। और अगर आप बिना नंबर की गाड़ी चलाते पकड़े गए तो आपको 10000 रुपये तक का जुर्माना लग सकता है और आपकी गाड़ी भी जब्त की जा सकती है। नियमानुसार वाहन पंजीकरण संख्या एक सप्ताह के अंदर ले लेना चाहिए।

बताते चले, अधिकतर मामलों में यह डीलरों की गलती होती है। “जिन लोगों को अपने डीलरों से वाहन पंजीकरण संख्या प्राप्त करने में समस्या आ रही है, वे RTO के साथ शिकायत दर्ज कर सकते हैं”। अधिकारियों ने पाया है कि लगभग हर डीलर ने नियमों का उल्लंघन किया है।

अब आरटीओ के पास यह अधिकार है कि वह नियमों का उल्लंघन करने वाले डीलरों का ट्रेड सर्टिफिकेट ख़त्म करने का नोटिस दे सकता है। हर डीलर को अलग-अलग तरह के वाहन बेचने के लिए अलग-अलग ट्रेड सर्टिफिकेट (Trade Certificate) लेने पड़ते है। डीलर द्वारा नए वाहन के लिए जारी किये गए ट्रेड सर्टिफिकेट नंबर को पंजीकरण संख्या नही माना जाना चाहिए।

ट्रेड सर्टिफिकेट नंबर एक ऐसी संख्या होती है। जो कि डीलर को RTO द्वारा आवंटित की जाती है। जिसे डीलर नए वाहनों की बिक्री करने पर नम्बर प्लेट पर चिपका सकता है। लेकिन इस संख्या को लम्बे समय तक टेम्पररी नंबर के तौर पर इस्तेमाल करना अपराध है। ट्रेड सर्टिफिकेट नंबर चिपकाकर गाड़ी तभी तक चलायी जा सकती है।

जब तक कि गाड़ी का परमानेंट नम्बर नही मिल जाता है। और यह अवधि ज्यादा से ज्यादा एक सप्ताह तक होती है। अब आपके मन में यह सवाल ज़रूर उठता होगा कि सरकार वाहन रजिस्ट्रेशन को लेकर इतनी सतर्क क्यों होती हैं। तो आपको बता दे, इसका सबसे बड़ा कारण सुरक्षा से जुड़ा हुआ हैं।

जिसमें ऐसा हो सकता है कि कोई व्यक्ती अपराध अपहरण/आतंकवाद/एक्सीडेंट करने के लिए ऐसी गाड़ी का इस्तेमाल करे जिसका कि नंबर ही नही आई हो। ऐसी हालत में जुर्म करने वाले को पकड़ना मुश्किल काम हो जाता है। इसलिए नए वाहन का जल्द से जल्द रजिस्ट्रेशन होना ज़रूरी होता है।